कुछ लाज़मी सा ही सही मुझे जीने को कोई वजह दे दे। कुछ लाज़मी सा ही सही मुझे जीने को कोई वजह दे दे।
दिल की हर बात जुबां से नहीं बयां की जाए। दिल की हर बात जुबां से नहीं बयां की जाए।
तेरी यादों के सहारे बिताने की आदत हो गई मुझे। तेरी यादों के सहारे बिताने की आदत हो गई मुझे।
संवार भी लेता मैं मगर अब तो हाथों से ही छूट गई। संवार भी लेता मैं मगर अब तो हाथों से ही छूट गई।
मुकाम हासिल होगा या सिर्फ़ मुसाफिर रह जाउँगा। आखिर जिन्दगी किस ओर जा रही है। मुकाम हासिल होगा या सिर्फ़ मुसाफिर रह जाउँगा। आखिर जिन्दगी किस ओर जा रही है।
तेरे इस रास्ते का यह पत्थर भी हट जाएगा सूनी राहों से न घबरा कारवाँ अभी गुज़रता जाएगा। तेरे इस रास्ते का यह पत्थर भी हट जाएगा सूनी राहों से न घबरा कारवाँ अभी गुज़रत...